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मुस्लिम लीग पहुंचा सुप्रीम कोर्ट, लगाई गुहार, CAA पर लगाई जाए रोक

केंद्र सरकार ने सोमवार 11 मार्च को पूरे देश भर में सीएए कानून लागू कर दिया है, जिस के बाद इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है, और सुप्रीम कोर्ट से गुहार लगाई की CAA पर अभी रोक लगाई जाए, दरअसल याचिकाकर्ताओं का कहना है कि नागरिकता संशोधन कानून धर्म के आधार पर मुसलमानों के खिलाफ भेदभाव करता है. इस लिए इस कानून पर सुप्रीम कोर्ट को रोक लगा दे

केंद्र सरकार ने मार्च को पूरे देश में नागरिकता संशोधन अधिनियम, जिसे केंद्र की मोदी सरकार ने 11दिसम्बर 2019 में संसद में पारित किया था उसे पूरे देश में लागू कर दिया, जिसके बाद केरल के एक राजनीतिक दल इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग (IUML) ने सीएए पर रोक लगाने के लिए सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है,, और अपनी याचिका में कहा कि नागरिकता संशोधन कानून धर्म के आधार पर मुसलमानों के खिलाफ भेदभाव करता है, इस लिए इस कानून पर सुप्रीम कोर्ट रोक लगाए,

आपको बता दे की सीएए 11 दिसंबर, 2019 को संसद द्वारा पारित किया गया था और अगले दिन इस कानून को राष्ट्रपति की सहमति मिल गई थी. उसी दिन, IUML ने इसे चुनौती देने के लिए सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था. कानून को चुनौती देने वाले याचिकाकर्ताओं का कहना है कि सीएए धर्म के आधार पर मुसलमानों के खिलाफ भेदभाव करता है. यह तर्क मुस्लिम लीग ने अपनी याचिका में सुप्रीम कोर्ट को दिया है और ये भी कहा कि ये कानून अनुच्छेद 14 के समानता के अधिकार का उल्लंघन करता है.
18 दिसंबर, 2019 को सर्वोच्च अदालत ने सीएए को चुनौती देने वाली तमाम याचिकाओं पर केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया था. उस समय भी IUML ने कानून पर रोक लगाने के लिए दबाव डाला था. हालांकि केंद्र सरकार ने तब कोर्ट से कहा था कि क्योंकि कानून अभी नहीं बने हैं, इसलिए सीएए लागू नहीं किया जाएगा,हालांकि सरकार ने 11 मार्च को नियमों का नोटिफिकेशन जारी कर कानून को लागू कर दिया,, नियमों को लागू किए जाने के बाद IUML ने अब कानून पर रोक लगाने की मांग करते हुए अदालत का रुख किया है,

याचिकाकर्ताओं कि सुप्रीम कोर्ट से अपील कानून पर लगाई जाए रोक

मुस्लिम लीग के याचिकाकर्ताओं ने सुप्रीम कोर्ट से गुजारिश की है कि सीएए पर रोक लगा दी जाए. याचिका के अनुसार सोमवार को अधिसूचित नियम अधिनियम की धारा 2(1)(बी) के तहत कवर किए गए व्यक्तियों को नागरिकता दी जाएगी. जिस में मुस्लिम धर्म शामिल नहीं है. याचिका में कहा गया है कि यह स्पष्ट रूप से मनमाना है और केवल लोगों की धार्मिक पहचान के आधार पर व्यक्तियों को नागरिकता दी जाएगी. जो भारतीय संविधान के अनुच्छेद 14 और 15 के खिलाफ है.

CAA क्या है
आपको बता दे की सीएए कानून के तहत पाकिस्तान,अफगानिस्तान और बांग्लादेश से 31 दिसंबर 2014 को या उससे पहले भारत आए मुस्लिम धर्म को छोड़कर, अन्य धर्म के लोगों को जैसे,हिंदू, जैन, ईसाई, सिख, बौद्ध और पारसियों को नागरिकता दी जाएगी, सीएए नागरिकता अधिनियम 1955 की धारा 2 में संशोधन करता है जो “अवैध प्रवासियों” को परिभाषित करती है. इसमें नागरिकता अधिनियम की धारा 2(1)(बी) में एक नया प्रावधान जोड़ा गया है. इसी के अनुसार, भारत आए लोगो को नागरिकता दी जाएगी,. हालांकि यह कानून विशेष रूप से मुस्लिम समुदाय को प्रावधानों से बाहर रखता है. यहीं वजह है कि देश भर में विरोध प्रदर्शन शुरू हो गया और सुप्रीम कोर्ट के समक्ष कई याचिकाएं दायर की गई है. किस कानून पर रोक लगाई जाए

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