लखनऊ। (Farmers Protest) एमएसपी पर गारंटी और स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट लागू करने जैसी मांगों को लेकर किसानों और केंद्र सरकार के बीच एक बार फिर टकराव की स्थिति है। दो बार की बातचीत विफल होने के बाद संयुक्त किसान मोर्चा (गैर राजनीतिक) और किसान मजदूर मोर्चा के आह्वान पर मंगलवार को पंजाब से दिल्ली की ओर कूच कर रहे किसानों के आंदोलन (Farmers Protest) ने हिंसक रूप अख्तियार कर लिया। इस बीच बीजेपी के सांसद सुधांशु त्रिवेदी (Sudhanshu Trivedi) ने किसानों के आंदोलन (Kisan Andolan) पर अपनी राय जाहिर करते हुए कहा है कि अभी तो सरकार चाहे तो भी उनकी मांग नहीं मान सकती। (Farmers Protest)
बुधवार को लखनऊ में सुधांशु त्रिवेदी ने कहा कि सरकार किसानों के मुद्दों पर संवेदनशीलता और सतर्कता के साथ काम कर रही है। उनकी ज्यादातर मांगें मान ली गई हैं। आगे भी सरकार पूरी संवेदनशीलता के साथ काम करेगी। लेकिन आज लोगों को समझना चाहिए कि तकनीकी तौर पर इस समय जब लोकसभा का सत्र खत्म हो चुका है तब कानून की मांग विचित्र है। अब तो चुनाव की अधिसूचना जारी होने वाली है। ऐसे में सरकार अब कोई कानून बनाना भी चाहे तो नहीं बना सकती इसलिए जो लोग इसकी मांग कर रहे हैं उन्हें इस बिंदु पर विचार करना चाहिए कि जो उनकी मांग है वो आज कानूनी दृष्टि से संभव भी नहीं है। सरकार अब संसद कैसे बुला सकती है।
उन्होंने कहा कि सरकार पूरी संवेदना के साथ काम कर रही है। हमारे दो-दो मंत्रियों ने बात की और आगे भी प्रतिबद्ध है किसानों की हर समस्या का सकारात्मक और संविधान के दायरे के अंदर समाधान निकालने के लिए। बता दें कि मंगलवार को किसानों और पुलिस के बीच शंभू और खनौरी बॉर्डर पर हुई भिड़ंत में कई पुलिसकर्मी और किसान घायल हो गए थे। किसानों पर हुए लाठीचार्ज के खिलाफ भारतीय किसान यूनियन ने कल यानी गुरुवार को दिन में 12 बजे से पंजाब में रेलवे ट्रैक जाम करने की चेतावनी दी है। शंभू बॉर्डर पर जमे किसान बुधवार को फिर दिल्ली कूच की कोशिश करेंगे इस आशंका में वहां भारी पुलिस बल तैनात है। दूसरी तरफ किसानों से बातचीत कर समाधान निकालने की कोशिशें भी लगातार जारी हैं।
आपको बता दें कि दो साल बाद किसान एक बार फिर सड़कों पर उतर गए हैं। किसानों का आरोप है कि उनकी मांगें पूरी नहीं की गईं हैं। किसान नेताओं और सरकार के बीच मंगलवार को फिर बातचीत हुई है। इस बातचीत में कोई नतीजा नहीं निकला। किसानों ने बुधवार को दिल्ली कूच का ऐलान किया है। किसानों का आंदोलन और उग्र होता जा रहा है। दिल्ली के सभी सीमाएं सील कर दी गई हैं। किसानों को राजधानी में प्रवेश करने से रोकने के लिए मल्टी लेयर बैरिकेडिंग, कंटीले तार लगाए गए हैं। इसके अलावा आरएएफ, पैरामिलिट्री फोर्स, वज्र वाहन, एंटी राइट व्हीकल को सीमाओं पर तैनात किया गया है। (Kisan Andolan)
देश में एक बार फिर किसान सड़कों पर उतर आए हैं। एमएसपी और कर्ज माफी की कानूनी गारंटी, स्वामिनाथन आयोग की रिपोर्ट लागू करने और लखीमपुर खीरी हादसे पर सख्त एक्शन की मांग को लेकर किसान दिल्ली कूच कर रहे हैं। प्रदर्शनकारी किसान एक बार फिर दिल्ली की सड़कों पर केंद्र सरकार से भिड़ने को तैयार हैं। मंगलवार से ही पंजाब के किसान दिल्ली कूच कर रहे हैं। केंद्र सरकार से लगातार बातचीत विफल रहने के बाद किसान दिल्ली की ओर बढ़ रहे हैं। फिलहाल, किसानों का काफिला पंजाब-हरियाणा के शंभू बॉर्डर पर है। किसान नेताओं और केंद्र के बीच बातचीत के बेनतीजा रहने के बाद किसान मजदूर मोर्चा और संयुक्त किसान मोर्चा (गैर-राजनीतिक) ने किसानों के ‘दिल्ली चलो’ मार्च का आह्वान किया है। मंगलवार को शंभू बॉर्डर और जींद बॉर्डर पर पंजाब के किसानों की हरियाणा पुलिस संग झड़प हुई।
पंजाब-हरियाणा का शंभू बॉर्डर मंगलवार को जंग का मैदान बन गया और चारों ओर आंसू गैस के गोले से धुआं-धुआं हो गया। कल शाम होते ही किसानों ने अपना मार्च रोक दिया था और आज फिर सुबह काफिला दिल्ली की ओर कूच करेगा। इधर, राष्ट्रीय राजधानी में प्रवेश करने से रोकने के लिए दिल्ली की सीमाओं पर भी बहुस्तरीय अवरोधक, कंक्रीट के अवरोधक, लोहे की कीलों और कंटेनर की दीवारें लगाकर सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए हैं। पिछली बार जहां किसानों का आंदोलन कृषि कानूनों के खिलाफ था, तो इस बार किसान फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य की गारंटी देने वाले कानून को बनाने की मांग पर अड़े हुए हैं। इतना ही नहीं, किसानों के 12-सूत्रीय एजेंडे में मुख्य मांगें सभी फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की गारंटी के लिए एक कानून बनाना और डॉ. एम.एस. स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट के अनुसार फसल की कीमतों का निर्धारण करना है। इस बार किसान मजदूर मोर्चा और संयुक्त किसान मोर्चा (गैर-राजनीतिक) ने दिल्ली चलो मार्च का आह्वान किया है।
दिल्ली कूच पर अड़े किसानों ने शाम ढलते ही शंबू बॉर्डर पर प्रदर्शन रोक दिया है। जानकारी के मुताबिक, आज यानी बुधवार सुबह वे फिर दिल्ली की ओर बढ़ेंगे। किसान नेता बता रहे हैं कि पुलिस के साथ झड़प में क़रीब 80 किसान घायल हो गए हैं। इस बीच पंजाब सरकार ने किसानों के प्रदर्शन को अपना समर्थन दिया है। हरियाणा की सीमा से सटे पंजाब के जिलों – संगरूर, पटियाला, डेराबस्सी, मानसा और बठिंडा – में अस्पतालों को अलर्ट पर रखा गया है। शंभू, जींद और खनौरी बॉर्डर पर अलग-अलग समय में प्रदर्शनकारी किसानों और पुलिसवालों में भयंकर झड़पें हुईं। शंभू सीमा की तरह ही जींद सीमा पर भी जंग जैसे हालात दिखे और जींद सीमा पर पंजाब के किसानों की हरियाणा पुलिस से झड़प हुई। इस दौरान पुलिस ने आंसू गैस के गोले छोड़े और पानी की बौछारें कीं. ठीक इसी तरह, हरियाणा पुलिस और पंजाब के किसानों के बीच खनौरी बॉर्डर पर भी टकराव हुआ है। दोनों तरफ से जमकर लाठी डंडे भी चले।