उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी ने लोकतंत्र को समृद्ध करने में मीडिया की भूमिका की सराहना करते हुए कहा कि संविधान में विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका का ही सांविधिक रूप से उल्लेख हुआ है, लेकिन मीडिया ने स्वतः स्फूर्त लोकतंत्र में चतुर्थ स्तम्भ की भूमिका निभायी है। संवैधानिक संस्थाओं के साथ ही मीडिया को भी आपातकाल का प्रहार झेलना पड़ा। उस समय मीडिया ने ब्लैंक पेज प्रकाशित कर यह संदेश दिया कि आवाज दबाने की कोशिश होने पर भी वह चुप नहीं बैठने वाली है। गत 20 वर्षों में मीडिया के स्वरूप में बदलाव आया है। प्रिंट के बाद विजुअल और अब डिजिटल व सोशल मीडिया क्रांति के दौर से गुजर रही है।
मुख्यमंत्री जी आज गोरखपुर में दैनिक जागरण, गोरखपुर के स्वर्ण जयन्ती समारोह के अवसर पर आयोजित ‘दैनिक जागरण संवादी गोरखपुर’ कार्यक्रम का शुभारम्भ करने के पश्चात अपने विचार व्यक्त कर रहे थे। उन्होंने कहा कि वर्ष 2017 के पश्चात गोरखपुर की पहचान इतनी सशक्त हो चुकी है कि आज कोई भी इस जनपद को माफिया से जोड़कर बदनाम नहीं कर सकता है। कोई अब गोरखपुर को बीमारी का अड्डा नहीं बोलता है। यहां अब नौजवानों के पलायन की बात नहीं होती है। आज गोरखपुर और पूर्वी उत्तर प्रदेश के युवा पहचान के मोहताज नहीं हैं। वर्तमान में देश और दुनिया में गोरखपुर की ख्याति है। गोरखपुर की पहचान अब मच्छर, माफिया, मलेरिया या इंसेफेलाइटिस से नहीं, बल्कि इसकी पहचान शिक्षा, स्वास्थ्य, व्यापार और रोजगार के केंद्र के रूप में है।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि वर्ष 2017 से पूर्व गोरखपुर के सामने पहचान का संकट था। यहां कनेक्टिविटी का अभाव था। युवाओं के सामने पलायन की मजबूरी थी। अव्यवस्था का दौर था। उद्योग बंद हो रहे थे। जनपद बाढ़ और मलेरिया-इंसेफेलाइटिस जैसी तमाम बीमारियों की चपेट में था। एक दौर वह भी था, जब गोरखपुर और पूर्वी उत्तर प्रदेश माफिया की गैंगवाॅर की चपेट में था।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि उत्तर प्रदेश देश की अर्थव्यवस्था के ग्रोथ इंजन के रूप में स्थापित हुआ है। डबल इंजन सरकार प्रदेश के सभी वर्गाें के कल्याण के लिए कार्य कर रही है। पहले प्रदेश के नागरिकों के सामने पहचान का संकट था। किसान आत्महत्या करने को मजबूर थे। गरीब भूख से मर रहे थे। महिलाओं और व्यापारियों को असुरक्षा का शिकार होना पड़ा था। वर्ष 2017 के पहले तक प्रदेश को बीमारू राज्य और विकास में बैरियर माना जाता था। आज यह विरासत और विकास की शानदार यात्रा का एक बेहतरीन मॉडल बन गया है। आजादी के पश्चात 70 वर्षाें की यात्रा में राज्य की अर्थव्यवस्था 12.75 लाख करोड़ रुपये थी, जबकि डबल इंजन सरकार के प्रयासों से महज 08 वर्र्षाें में उत्तर प्रदेश की अर्थव्यवस्था 30 लाख करोड़ रुपये की हो गई है। वर्ष 2017 में प्रदेश की प्रति व्यक्ति आय 46 हजार रुपये थी। अब यह बढ़कर 1.10 लाख रुपये हो गई है। वर्ष 1947 से वर्ष 1950 के आसपास प्रदेश की प्रति व्यक्ति आय राष्ट्रीय औसत से अधिक थी, लेकिन वर्ष 2017 में यह राष्ट्रीय औसत के एक तिहाई पर आ गई। प्रदेश में विरासत के संरक्षण, जनकल्याण और विकास की यात्रा निरन्तर आगे बढ़ रही है। डबल इंजन सरकार ने ‘वन डिस्ट्रिक्ट वन प्रोडक्ट’ और ‘वन डिस्ट्रिक्ट वन मेडिकल कॉलेज’ की योजनाएं देकर इस राज्य की पहचान को पुनस्र्थापित किया है।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि स्वतंत्रता के समय उत्तर प्रदेश की अर्थव्यवस्था टाॅप पर थी, लेकिन आजादी के बाद सरकारों के रवैये से इसकी अर्थव्यवस्था नीचे गिरती गई। विगत 08 वर्षों में 06 एक्सप्रेस-वे बन चुके हैं और 07 एक्सप्रेस-वे पर काम चल रहा है। प्रदेश के 06 शहरों में मेट्रो सेवा प्रदान की जा रही है। राज्य में हाइवे का सबसे बड़ा नेटवर्क है। यहां बेहतरीन इण्टर स्टेट कनेक्टिविटी है। पहली रैपिड रेल और पहली इनलैण्ड वाॅटर-वे सेवा प्रदेश मंे शुरू हुई है।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के मार्गदर्शन में देश और प्रदेश की विकास यात्रा को आगे बढ़ाने के लिए ‘सबका साथ-सबका विकास’ सिर्फ स्लोगन नहीं बल्कि सामथ्र्य का मंत्र है। समग्र विकास की यात्रा के लिए पास-पास ही नहीं, बल्कि साथ-साथ चलना होगा। प्रधानमंत्री जी ने देश को सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनाने का लक्ष्य रखा है। जब वह प्रधानमंत्री बने थे, तब भारत दुनिया की 11वीं अर्थव्यवस्था था, जबकि आज उनके नेतृत्व में देश पांचवीं बड़ी अर्थव्यवस्था बन चुका है। अगले दो वर्र्षाें में यह दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था हो जाएगा। आजादी के शताब्दी वर्ष 2047 तक प्रधानमंत्री जी की विकसित और आत्मनिर्भर भारत की संकल्पना के दृष्टिगत हमें आने वाली चुनौतियों का मिलकर सामना करना होगा।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि बदले उत्तर प्रदेश में प्रयागराज की चर्चा महाकुम्भ-2025 की दिव्यता, भव्यता, सुव्यवस्था और आतिथ्य सत्कार को लेकर हो रही है। महाकुम्भ-2025 के दौरान प्रयागराज में लघु भारत का सामथ्र्य देखा गया। 45 दिनों के आयोजन में 66 करोड़ श्रद्धालु यहां की व्यवस्था और आतिथ्य सत्कार से अभिभूत होकर गए। मुख्यमंत्री जी ने दक्षिण भारत से आए श्रद्धालुओं का एक गांव में हुए अद्भुत आतिथ्य सत्कार का उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि महाकुम्भ में लूट, अपहरण, छेड़खानी, अव्यवस्था जैसी एक भी घटना नहीं हुई। आदर्श व्यवस्था तब सम्भव होती है, जब सब लोग एक साथ मिलकर सोचते और उसके अनुरूप कार्य करते हैं।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि वर्ष 2014 के पूर्व किसानों की आत्महत्या और गरीबों की भुखमरी से मौत अखबारों में बैनर न्यूज बनती थी। वर्ष 2003-04 में कुशीनगर में मुसहरों की भूख से मौत के अखबारों में प्रकाशित समाचार का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि यह उनके संसदीय क्षेत्र का मामला न होने के बाद भी वह मौके पर गए और मुसहरों के हक के लिए आंदोलन किया। इसी प्रकार वर्ष 2017 तक नागरिक अधिकारों से वंचित वनटांगिया समुदाय के लिए भी आवाज उठाई। प्रदेश सरकार ने मुसहर, वनटांगिया, थारू, कोल, सहरिया, बुक्सा आदि अनुसूचित जाति-जनजाति को जमीन का पट्टा, राशन कार्ड, आयुष्मान कार्ड, पेंशन आदि सुविधाएं उपलब्ध कराकर उनके शत-प्रतिशत संतृप्तिकरण का अभियान चलाया। किसान अब आत्महत्या नहीं करता है। गरीब भूख से नहीं मरता है। देश में 80 करोड़ और प्रदेश में 15 करोड़ लोगों को मुफ्त राशन मिल रहा है। 10 करोड़ लोगों को आयुष्मान स्वास्थ्य सुरक्षा मिली है। देश में 04 करोड़ तथा प्रदेश में 60 लाख लोगों को प्रधानमंत्री आवास योजना का लाभ मिला है। यह इसलिए सम्भव है कि इस सरकार में कार्य करने की इच्छाशक्ति है, जबकि पूर्व की सरकारें सिर्फ अपने और अपने परिवार तक सीमित रहीं।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि दैनिक जागरण के सम्पादकीय लेख भाषा को सुधारने तथा राष्ट्रीयता से जुड़ने का माध्यम बने हैं। सम्पादकीय आलेख हमें जीवन की प्रतिबद्धता के विषय में भी अवगत कराते रहे हैं। किसी संगठन, संस्थान तथा समूह के साथ जुड़कर हम अपनी प्रतिबद्धताओं के विषय में जान सकते हैं। श्रद्धेय अटल बिहारी वाजपेयी जी ने एक बार कहा था कि सिद्धांतहीन व्यक्ति, संगठन और संस्थान अपने आप में समस्या हैं। पेंडुलम की तरह उनका कोई लक्ष्य नहीं होता है। व्यक्ति हो या संस्थान, उसे अपनी वैचारिक प्रतिबद्धता प्रकट करनी होगी।
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