लखनऊ। (Kisan Andolan) बसपा सुप्रीमो मायावती ने किसान आंदोलन पर प्रतिक्रिया दी है। मायावती ने बुधवार को एक्स हैंडल पर पोस्ट लिखते हुए कहा कि अपने भारत को अन्न के मामले में आत्मनिर्भर बनाने वाले मेहनतकश किसानों की जो माँगें हैं सरकार उन्हें गंभीरता से ले तथा उन पर सहानुभूतिपूर्वक विचार करके उनका समय से समुचित समाधान करे, ताकि अन्नदाता किसानों को अपनी माँगों के समर्थन में बार-बार आन्दोलन के लिए मजबूर न होना पड़े। उन्होंने कहा कि इस सम्बंध में ’दिल्ली चलो’ के वर्तमान अभियान के तहत् आन्दोलित किसानों पर सख्ती करने के बजाय केन्द्र सरकार उनसे सही वार्ता करके उनके आन्दोलन को समाप्त करने का प्रयास करेे तो बेहतर तथा इनका शोषण करना भी ठीक नहीं। (Kisan Andolan)
आपको बता दें कि दो साल बाद किसान एक बार फिर सड़कों पर उतर गए हैं। किसानों का आरोप है कि उनकी मांगें पूरी नहीं की गईं हैं। किसान नेताओं और सरकार के बीच मंगलवार को फिर बातचीत हुई है। इस बातचीत में कोई नतीजा नहीं निकला। किसानों ने बुधवार को दिल्ली कूच का ऐलान किया है। किसानों का आंदोलन और उग्र होता जा रहा है। दिल्ली के सभी सीमाएं सील कर दी गई हैं। किसानों को राजधानी में प्रवेश करने से रोकने के लिए मल्टी लेयर बैरिकेडिंग, कंटीले तार लगाए गए हैं। इसके अलावा आरएएफ, पैरामिलिट्री फोर्स, वज्र वाहन, एंटी राइट व्हीकल को सीमाओं पर तैनात किया गया है। (Kisan Andolan)
देश में एक बार फिर किसान सड़कों पर उतर आए हैं। एमएसपी और कर्ज माफी की कानूनी गारंटी, स्वामिनाथन आयोग की रिपोर्ट लागू करने और लखीमपुर खीरी हादसे पर सख्त एक्शन की मांग को लेकर किसान दिल्ली कूच कर रहे हैं। प्रदर्शनकारी किसान एक बार फिर दिल्ली की सड़कों पर केंद्र सरकार से भिड़ने को तैयार हैं। मंगलवार से ही पंजाब के किसान दिल्ली कूच कर रहे हैं। केंद्र सरकार से लगातार बातचीत विफल रहने के बाद किसान दिल्ली की ओर बढ़ रहे हैं। फिलहाल, किसानों का काफिला पंजाब-हरियाणा के शंभू बॉर्डर पर है। किसान नेताओं और केंद्र के बीच बातचीत के बेनतीजा रहने के बाद किसान मजदूर मोर्चा और संयुक्त किसान मोर्चा (गैर-राजनीतिक) ने किसानों के ‘दिल्ली चलो’ मार्च का आह्वान किया है। मंगलवार को शंभू बॉर्डर और जींद बॉर्डर पर पंजाब के किसानों की हरियाणा पुलिस संग झड़प हुई।
पंजाब-हरियाणा का शंभू बॉर्डर मंगलवार को जंग का मैदान बन गया और चारों ओर आंसू गैस के गोले से धुआं-धुआं हो गया। कल शाम होते ही किसानों ने अपना मार्च रोक दिया था और आज फिर सुबह काफिला दिल्ली की ओर कूच करेगा। इधर, राष्ट्रीय राजधानी में प्रवेश करने से रोकने के लिए दिल्ली की सीमाओं पर भी बहुस्तरीय अवरोधक, कंक्रीट के अवरोधक, लोहे की कीलों और कंटेनर की दीवारें लगाकर सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए हैं। पिछली बार जहां किसानों का आंदोलन कृषि कानूनों के खिलाफ था, तो इस बार किसान फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य की गारंटी देने वाले कानून को बनाने की मांग पर अड़े हुए हैं। इतना ही नहीं, किसानों के 12-सूत्रीय एजेंडे में मुख्य मांगें सभी फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की गारंटी के लिए एक कानून बनाना और डॉ. एम.एस. स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट के अनुसार फसल की कीमतों का निर्धारण करना है। इस बार किसान मजदूर मोर्चा और संयुक्त किसान मोर्चा (गैर-राजनीतिक) ने दिल्ली चलो मार्च का आह्वान किया है।
दिल्ली कूच पर अड़े किसानों ने शाम ढलते ही शंबू बॉर्डर पर प्रदर्शन रोक दिया है। जानकारी के मुताबिक, आज यानी बुधवार सुबह वे फिर दिल्ली की ओर बढ़ेंगे। किसान नेता बता रहे हैं कि पुलिस के साथ झड़प में क़रीब 80 किसान घायल हो गए हैं। इस बीच पंजाब सरकार ने किसानों के प्रदर्शन को अपना समर्थन दिया है। हरियाणा की सीमा से सटे पंजाब के जिलों – संगरूर, पटियाला, डेराबस्सी, मानसा और बठिंडा – में अस्पतालों को अलर्ट पर रखा गया है। शंभू, जींद और खनौरी बॉर्डर पर अलग-अलग समय में प्रदर्शनकारी किसानों और पुलिसवालों में भयंकर झड़पें हुईं। शंभू सीमा की तरह ही जींद सीमा पर भी जंग जैसे हालात दिखे और जींद सीमा पर पंजाब के किसानों की हरियाणा पुलिस से झड़प हुई। इस दौरान पुलिस ने आंसू गैस के गोले छोड़े और पानी की बौछारें कीं. ठीक इसी तरह, हरियाणा पुलिस और पंजाब के किसानों के बीच खनौरी बॉर्डर पर भी टकराव हुआ है। दोनों तरफ से जमकर लाठी डंडे भी चले।