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रूस से भारत आ रहे तेल कार्गो ने भुगतान से जुड़े मुद्दों के बीच रास्ता बदला, चीन हुआ सक्रिय

रूस से कच्चा तेल लाने वाले कई जहाज जो भारत की ओर बढ़ रहे थे, अब रास्ता बदलकर पूर्व की ओर बढ़ रहे हैं। ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट में यह दावा किया गया है। रूस और भारत के बीच तेल भुगतान से जुड़ी चिंताओं के बीच बीते कुछ महीनों में भारत आने वाले कच्चे तेल की मात्रा में बड़ी गिरावट आई है।

रिपोर्ट में दावा- रूस से आ रहे छह जहाजों ने अपना रास्ता बदला
पोत-ट्रैकिंग डेटा के अनुसार, रूस के सुदूर पूर्व से सोकोल तेल ले जाने वाले पांच जहाज – एनएस कमांडर, सखालिन द्वीप, क्रिमस्क, नेलिस और लिटेनी प्रॉस्पेक्ट- 7 से 10 समुद्री मील की रफ्तार से मलक्का जलडमरूमध्य की ओर बढ़ रहे हैं। एनएस सेंचुरी के नाम से मशहूर एक छठा सोकोल जहाज अब भी श्रीलंका के करीब है।

कार्गो के रास्ता बदलने के बाद चीन हुआ सक्रिय
डेटा इंटेलिजेंस प्रोवाइडर केप्लर के लीड क्रूड एनालिस्ट विक्टर कटोना के अनुसार ऐसा लगता है कि चीन ने सोकोल कार्गो में अपनी दिलचस्पी दिखाई है। ऐसे में कयास लगाए जा रहे हैं कि ये कार्गो चीन की ओर जा सकते हैं। यूक्रेन के साथ युद्ध के बीच रूस के लिए एक महत्वपूर्ण आउटलेट भारत का रूस से तेल आयात दिसंबर में जनवरी 2023 के बाद से सबसे कम हो गया। स्थानीय रिफाइनरों से जुड़े भुगतान के कारण इस दौरान एक भी सोकोल कार्गो भारत नहीं पहुंचा।

अमेरिका के रूसी तेल को बैन करने के बाद बढ़ा था भारत का आयात
अमेरिका और उसके सहयोगियों ने रूसी कच्चे तेल के निर्यात पर 60 डॉलर प्रति बैरल की सीमा का उल्लंघन करने वाली संस्थाओं पर प्रतिबंध लगा रखे हैं, जो 2022 के अंत में लागू हुए थे। पिछले महीने, यूएस ट्रेजरी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा इन प्रतिबंधों को लागू करने में तेजी लाई जाएगी।

अधिकांश जहाजों का स्वामित्व रूसी सरकार समर्थित शिपिंग कंपनी के पास
एनएस सेंचुरी जहाज जो लगभग 7,00,000 बैरल की ढुलाई करती है- को पिछले साल अमेरिकी ट्रेजरी की प्रतिबंधित किया गया था। अन्य जहाजों में से चार समान मात्रा में तेल की ढुलाई करते हैं, जबकि पांचवां जहाज नेलिस दोगुने मात्रा में तेल की ढुलाई करता है। इनमें से अधिकांश जहाजों का स्वामित्व रूस की राज्य समर्थित शिपिंग कंपनी, सोवकॉमफ्लोट पीजेएससी के पास है।

क्या है पूरा मामला?
डेटा इंटेलिजेंस कंपनी केपलर के अनुसार, अपने सबसे बड़े आपूर्तिकर्ता रूस से भारत का कच्चे तेल का आयात दिसंबर में जनवरी 2023 के बाद से सबसे कम हो गया। इस दौरान कड़े प्रतिबंधों और भुगतान मुद्दों के कारण सोकोल ग्रेड तेल ले जाने वाले छह टैंकर डिलीवरी नहीं कर सके।

नवंबर और दिसंबर महीने में रूस से तेल आयात में आई कमी
केप्लर के आंकड़ों के अनुसार, मई में 2.15 मिलियन बैरल प्रति दिन के सर्वकालिक रिकॉर्ड तक बढ़ने के बाद, रूस से तेल आयात में उतार-चढ़ाव देखा गया। नवंबर और दिसंबर के रूस से तेल आयात में तेज गिरावट आई और पिछले महीने यह 1.48 मिलियन बैरल प्रति दिन तक पहुंच गया। भारतीय रिफाइनरियों, जिन्होंने 2023 में सोकोल के एक दिन में औसतन 1,40,000 बैरल खरीदे थे, उन्हें दिसंबर महीने में ऐसा कोई कार्गो प्राप्त नहीं हो सका।

छह रूसी टैंकरों में से तीन ने चीन की ओर बढ़ने के दिए संकेत
केप्लर के प्रमुख कच्चे तेल विश्लेषक विक्टर कटोना ने रविवार को एक ईमेल में कहा कि रूस के सुदूर पूर्व से कच्चा तेल निकालने वाली सखालिन-1 एलएलसी संयुक्त अरब अमीरात में एक बैंक खाता नहीं खोल पाई जिससे सहमति के अनुसार दिरहम में भुगतान किया जा सके। उन्होंने कहा कि भारत के तट के पास पहुंच चुके छह टैंकरों में से दो ने संकेत दिया कि वे चीन की ओर बढ़ सकते हैं। उन्होंने कहा कि बाधाओं के बावजूद, रूस और भारत के बीच सोकोल ग्रेड तेल व्यापार जारी रहने की संभावना है। सोकोल कार्गो के तीन अतिरिक्त शिप-टू-शिप ट्रांसफर ऑपरेशन और तीन नए कार्गो – एनएस अंटार्कटिक, जगुआर, वोस्टोचनी प्रॉस्पेक्ट बीते सोमवार तक भारत पहुंचने के संकेत दे रहे थे।

क्या है रूस से भारत के तेल आयात की स्थिति?
वर्ष 2023 में रूस से भारत का तेल आयात सालाना दोगुना से अधिक बढ़कर 17,90,000 (1.79 मिलियन) बैरल प्रति दिन हो गया। जबकि दूसरे सबसे बड़े आपूर्तिकर्ता इराक से भारत का आयात 11% घटकर 908,000 बैरल प्रति दिन हो गया।

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