उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि आज देश व प्रदेश में शिक्षा के क्षेत्र में आमूल-चूल परिवर्तन हो रहे हैं। यह आमूल-चूल परिवर्तन नए भारत को विकसित भारत बनाने में सहायक सिद्ध होंगे। विकसित भारत की इस परिकल्पना को साकार करने के लिए हम सभी को स्कूली शिक्षा पर ध्यान देना होगा। शिक्षा किसी भी सशक्त और समर्थ राष्ट्र की सबसे प्रमुख उपलब्धि होती है। शिक्षा किसी भी राष्ट्र तथा सभ्य समाज के लिए सबसे बुनियादी आवश्यकता है। शिक्षा के बिना मानवीय मूल्यों तथा जीव सृष्टि की आवश्यकताओं की पूर्ति की कल्पना नहीं की जा सकती।
मुख्यमंत्री आज यहां जनपद गोरखपुर में निपुण भारत मिशन के अन्तर्गत बेसिक शिक्षा विभाग, अशोक लीलैण्ड लिमिटेड एवं लर्निंग लिंक्स फाउण्डेशन द्वारा रोड टू स्कूल कार्यक्रम के प्रथम चरण का शुभारम्भ करने के पश्चात अपने विचार व्यक्त कर रहे थे। इस चरण के माध्यम से 78 विद्यालयों के 17,781 विद्यार्थी लाभान्वित होंगे। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी के विजन के अनुरूप निपुण भारत के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए चरगावां तथा भटहट विकासखंड को रोड टू स्कूल कार्यक्रम के साथ जोड़ने के लिए इस अभिनव प्रयास में अशोक लीलैण्ड लि0 तथा लर्निंग लिंक्स फाउण्डेशन ने अपना योगदान दिया है।
रोड टू स्कूल कार्यक्रम, स्कूल चलो अभियान का एक नया रूप है। स्कूल चलो अभियान के अन्तर्गत शिक्षक घर-घर जाकर बच्चों को स्कूल लाने का कार्य करते हैं। रोड टू स्कूल कार्यक्रम के अन्तर्गत ड्रॉपआउट करने वाले तथा विभिन्न कारणों से स्कूल न जाने वाले बच्चों का स्कूल में प्रवेश कराने के लिए अशोक लीलैण्ड लि0 तथा लर्निंग लिंक्स फाउण्डेशन के माध्यम से यहां पर यह कार्यक्रम प्रारम्भ किया गया है। इसके अन्तर्गत इन्होंने एक पैरामीटर तैयार किया है, जिसमें रिसोर्स पर्सन तथा मॉनिटरिंग करने वाली टीम के साथ-साथ अन्य टीमों को भी रखा गया है। इस पिरामिड के माध्यम से प्रत्येक बच्चे की टॉप टू बॉटम समीक्षा की जा सकती है। इसके माध्यम से चरगावां जैसे विकास खण्ड के 17 से 18 हजार बच्चों का भविष्य उज्ज्वल बनाने का कार्य किया जाएगा तथा उन्हें नई प्रक्रियाओं से जोड़ा जाएगा।
प्रधानमंत्री ने नई शिक्षा नीति के अन्तर्गत गणित आदि विषयों में विभिन्न उद्धरण तथा मॉडल देकर बच्चों को जानकारी उपलब्ध कराने पर जोर दिया है। इससे बच्चे आसानी से समझ पाएंगे। यदि बच्चों ने सीखने की उम्र में गणित की पहेली को सीख लिया, तो वह बड़ी से बड़ी समस्या का समाधान करने में सक्षम हो सकेंगे। उनकी नींव मजबूत हो जाएगी। हमें यही कार्य लगातार अन्य संस्थाओं में भी करना पड़ेगा। इस कार्यक्रम के अन्तर्गत चरगावां विकासखंड के 90 गांव लिए गए हैं। इसके बाद भटहट विकास खण्ड के बेसिक शिक्षा परिषद के कक्षा 01 से लेकर कक्षा आठ तक के सभी विद्यालयों तथा कम्पोजिट विद्यालयों के लिए भी कार्रवाई को आगे बढ़ाया जाएगा। इसके माध्यम से शत-प्रतिशत बच्चों के नामांकन व उनकी शिक्षा की निरंतरता बनाए रखने तथा उन्हें योग्य बनाकर आत्मनिर्भर बनाने के लक्ष्य के साथ कार्य किया जाएगा। यदि व्यक्ति आत्मनिर्भर होगा, तो समाज आत्म निर्भर होगा। यदि समाज आत्मनिर्भर होगा, तो राष्ट्र भी आत्मनिर्भर होगा। आत्मनिर्भरता के माध्यम से भारत दुनिया की सबसे बड़ी ताकत बनने में सक्षम होगा। तभी हम प्रधानमंत्री की विकसित भारत की संकल्पना साकार कर पाएंगे।
मुख्यमंत्री ने कहा कि इस कार्यक्रम के माध्यम से हमें राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अनुसार कार्यों को आगे बढ़ाने में सहायता मिलेगी। इस कार्यक्रम के अन्तर्गत शिक्षकों की कैपेसिटी बिल्डिंग के कार्य भी किए जाएंगे। इस कार्यक्रम में आधारभूत शिक्षा, स्वास्थ्य तथा कला शिक्षा आदि क्षेत्र भी सम्मिलित किए गए हैं। इसमें बुनियादी शिक्षा के स्तर में सुधार के लिए भी कार्यक्रम तय किए गए हैं। स्वास्थ्य के क्षेत्र में शारीरिक, भावनात्मक, सामाजिक तथा पर्यावरणीय कल्याण से सम्बन्धित पाठ्यक्रम को भी तैयार किया गया है। खेलो इंडिया कार्यक्रम के अन्तर्गत पाठ्यक्रम को भी इसके माध्यम से क्रियान्वित किया जाएगा। इसमें दो विद्यालयों के लिए एक रिसोर्स पर्सन की व्यवस्था के साथ चरगावां व भटहट विकास खण्डों में लगभग 50-50 रिसोर्स पर्सन अशोक लीलैण्ड लि0 द्वारा तैनात किए जाएंगे। रिसोर्स पर्सन की निगरानी और मार्गदर्शन के लिए प्रत्येक विकासखंड में पांच सीनियर रिसोर्स पर्सन को भी तैनात किया जाएगा। एक सीनियर रिसोर्स पर्सन के अन्तर्गत 15 विद्यालय होंगे। विद्यालयों में स्वास्थ्य और कल्याण कार्यक्रम गतिविधियों को लागू करने के लिए पांच प्रोजेक्ट एसोसिएट तैनात किए जाएंगे। एक प्रोजेक्ट एसोसिएट के अन्तर्गत 15 विद्यालय होंगे।
मुख्यमंत्री ने कहा कि शिक्षा की सर्वसुलभता को लेकर प्राचीन काल से ही लगातार मंथन चलता रहा है। इसके लिए अलग-अलग कालखण्डों में विभिन्न प्रयास किए गए हैं। प्राचीन भारतीय गुरुकुल प्रणाली में उस कालखण्ड में किए गए उत्कृष्ट प्रयास हम सभी के लिए प्रेरणा का स्रोत हैं। नालंदा, तक्षशिला, विक्रमशिला, काशी तथा कांचीपुरम आदि प्राचीन भारतीय विश्वविद्यालयों व शिक्षा के केन्द्रों में दुनिया भर के विद्यार्थी अध्ययन करते थे। इन सभी केंद्रों में अध्ययन तथा अध्यापन के समन्वय से उज्ज्वल भविष्य के विषय में मंथन का कार्यक्रम आगे बढ़ता था।
लॉर्ड मैकाले ने आधुनिक शिक्षा प्रणाली लागू करने से पूर्व सम्पूर्ण भारत का भ्रमण किया था। उसने वायसराय को भेजे पत्र में अपने भारत भ्रमण का उल्लेख करते हुए कहा कि भारत एक ऐसा देश है, जहां की संस्थाएं तथा पंचायतें शिक्षण संस्थानों के प्रति स्वयं आग्रही होकर शत-प्रतिशत साक्षरता के लक्ष्य को बिना भेदभाव समाज के प्रत्येक वर्ग तक पहुंचाने के लिए प्रतिबद्ध दिख रही हैं। भारत दुनिया का एक ऐसा देश है, जहां ग्रामीण क्षेत्र के लोग आपसी विश्वास से जुड़े हुए हैं। किसी के घर में ताला नहीं लगता है। लोगों में इस परस्पर विश्वास की भावना के कारण अंग्रेज भारत को अधिक दिनों तक गुलाम बनाकर नहीं रख सकते। उसके द्वारा दिए गए शिक्षा के मॉडल से निरक्षरता में पहले की तुलना में वृद्धि हुई, लेकिन स्वतंत्रता के पश्चात किए गए प्रयासों के कुछ अच्छे परिणाम प्राप्त हुए। अभी इस दिशा में बहुत कुछ किए जाने की आवश्यकता है।
मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री जी के प्रति आभार प्रकट करते हुए कहा कि जब संपूर्ण विश्व कोरोना महामारी से जूझ रहा था, तब इस महामारी से देशवासियों को बचाने तथा उनको सुरक्षित रखने के साथ-साथ उज्ज्वल भविष्य की नई आधारशिला रखने के लिए प्रधानमंत्री ने देशवासियों के लिए राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 की व्यवस्था दी। इस शिक्षा नीति के माध्यम से उद्धरण के साथ तकनीक का उपयोग करते हुए छात्र-छात्राओं को सरलता के साथ शिक्षा तथा जानकारी प्रदान करने की व्यवस्था की गई है। स्कूलों में बच्चों का शत-प्रतिशत नामांकन सुनिश्चित करने पर बल दिया गया है। इसके लिए बच्चों, अभिभावकों, पंचायतों तथा समाज के गणमान्य नागरिकों को जागरूक करने के साथ-साथ सामाजिक प्रतिबद्धता को समझते हुए समाज के निर्माण में अपना योगदान देने वाली संस्थाओं के सी0एस0आर0 मद से सहयोग लेकर इस पूरे कार्यक्रम को सफलता की ऊंचाइयों तक पहुंचाने का कार्य किया जाएगा।
मुख्यमंत्री ने प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि वर्ष 2017 से स्कूल चलो अभियान के अन्तर्गत किए गए प्रयासों से प्रदेश में 58 से 60 लाख बच्चों को बेसिक शिक्षा परिषद के स्कूलों में प्रवेश कराने में सफलता प्राप्त हुई। कोरोना महामारी के कारण स्कूली शिक्षा सर्वाधिक प्रभावित हुई लेकिन प्रदेश में बेसिक शिक्षा परिषद में विद्यार्थियों की संख्या एक करोड़ 34 लाख से बढ़कर एक करोड़ 92 लाख पहुंच गई। यह संख्या बताती है कि बच्चे स्कूल जाना चाहते थे, लेकिन उन्हें स्कूल भेजने तथा प्रोत्साहित करने का अच्छा माध्यम नहीं था। वर्ष 2017 से पूर्व बच्चे स्कूलों में प्रवेश नहीं ले पाते थे। प्रवेश लेने वाले बच्चों में से आधे बच्चे स्कूल नहीं जाते थे। कक्षा 05 पास करने वाले बच्चे, छठीं कक्षा में तथा कक्षा 08 पास बच्चे नवीं कक्षा में प्रवेश नहीं ले पाते थे। नवीं कक्षा में प्रवेश लेने वाले विद्यार्थियों की संख्या कक्षा एक में प्रवेश लेने वाले विद्यार्थियों की आधी रह जाती थी। इण्टरमीडिएट में प्रवेश लेने वाले विद्यार्थियों की संख्या में भी कमी आ जाती थी। अंततः स्नातक करने वाले विद्यार्थियों की संख्या मात्र 25 से 30 प्रतिशत रह जाती थी। शिक्षा की गुणवत्ता का ध्यान नहीं दिया जाता था।
पहले बालिकाओं की शिक्षा में रुचि न लेने के कारण अभिभावक बेटियों को स्कूल नहीं भेजते थे। यदि उन्हें भेजते भी थे तो यूनिफॉर्म आदि उपलब्ध नहीं कराते थे। प्रदेश सरकार ने बेसिक शिक्षा परिषद के स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों के लिए यूनिफॉर्म, स्वेटर जूते-मोजे, बैग, किताबों आदि की निःशुल्क उपलब्धता सुनिश्चित की। इसके लिए प्रदेश सरकार द्वारा विद्यार्थियों के लिए अभिभावकों के खाते में 1200 रुपये डी0बी0टी0 के माध्यम से भेजे जा रहे हैं। इसके पश्चात राज्य सरकार ने जनप्रतिनिधियों तथा समाज के प्रतिष्ठित लोगों का सहयोग लेकर ऑपरेशन कायाकल्प का अभिनव प्रयोग प्रारम्भ किया। ऑपरेशन कायाकल्प के माध्यम से बड़ी संख्या में विद्यालयों में फ्लोरिंग, फर्नीचर, स्मार्ट क्लास, बालक बालिकाओं के लिए अलग-अलग टॉयलेट, लाइब्रेरी, पेयजल आदि की व्यवस्था के लिए कार्य प्रारम्भ किए गए। आज इसके अच्छे परिणाम देखने को मिल रहे हैं। इस कार्य में सामाजिक प्रतिबद्धता का निर्वहन करने वाली संस्थाओं का सहयोग प्राप्त हुआ।
मुख्यमंत्री ने कहा कि वर्तमान में शिक्षा के स्तर को सुधारने के लिए अनेक प्रयास किये जा रहे हैं। रोड टू स्कूल को ही अटल आवासीय विद्यालय के रूप में नया रूप दिया गया है। इसमें बी0ओ0सी0 बोर्ड के रजिस्टर्ड श्रमिकों के बच्चों तथा निराश्रित बच्चों को प्रवेश दिया गया है। इसके अन्तर्गत 18 स्कूल प्रारम्भ किये जा चुके हैं। 57 अन्य जनपदों में डे-स्कूल खोलने की तैयारी चल रही है। सभी जनपदों में मुख्यमंत्री अभ्युदय स्कूल के रूप में नए स्कूल को इसी तर्ज पर आगे बढ़ाने की कार्रवाई चल रही है। प्रत्येक विकासखंड स्तर पर पी0एम0 श्री स्कूल को स्थापित करने की कार्रवाई को तेजी के साथ आगे बढ़ाया गया है।
मुख्यमंत्री जी ने शिक्षकों से अपील करते हुए कहा कि आप सभी नए भारत के निर्माता है। पूरी दुनिया तथा देश आपकी तरफ आशा भरी निगाहों से देख रही है। अध्ययन-अध्यापन के क्षेत्र में आपको तथ्यों के प्रति हमेशा अपडेट रहना पड़ेगा। आपको अपने विषयों के साथ-साथ सामाजिक दायित्वों की जानकारी भी रखनी चाहिए, जिससे आप बच्चों को योग्य नागरिक बनाने में अपना योगदान दे सकें। पहले लोग स्मार्टफोन से परिचित नहीं थे, लेकिन अब बच्चे भी सरलता से स्मार्टफोन चलाते हैं। जीवन को सरल और सुगम बनाने के लिए आपको तकनीक के उपयोग की जानकारी भी रखनी होगी। यदि आप सभी ऐसा कर पाएंगे तो शिक्षा की नींव इतनी सशक्त हो जाएगी कि आने वाली पीढ़ी आप सभी के प्रति कृतज्ञता ज्ञापित करेगी। जीवन वही है, जो अन्य लोगों के लिए काम आ सके तथा दूसरों के लिए प्रेरणादाई बना सके।
आपके ऊपर देश का भविष्य निर्भर करता है। क्योंकि आप बच्चों का भविष्य बना रहे हैं। यदि आप बच्चों का भविष्य उज्ज्वल बनाएंगे, तो हमारे देश और समाज का भविष्य भी उज्ज्वल बनेगा। दुनिया की कोई ताकत इसे कमजोर नहीं कर सकेगी। यदि हम अपने कर्तव्यों से विमुख हो जाएंगे, तो अज्ञानता रूपी संक्रमण फैलेगा। इसे हर हाल में रोकना है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि निपुण भारत के सपने को साकार करने तथा निपुण उत्तर प्रदेश के निर्माण के लिए आज अशोक लीलैण्ड लि0 तथा लर्निंग लिंक्स फाउण्डेशन जैसी संस्थाएं सहभागी बन रही हैं। उन्होंने विश्वास व्यक्त करते हुए कहा कि चरगावां विकासखंड में निर्धारित समय सीमा में रोड टू स्कूल कार्यक्रम को सफलतापूर्वक आगे बढा़ते हुए व यहां के स्थानीय जनप्रतिनिधियों तथा समाज के मानिदों को जोड़ते हुए कार्य किया जाएगा, तो हमें किसी कठिनाई का सामना नहीं करना पड़ेगा। हम मासूम बच्चों का भविष्य उज्ज्वल बनाकर विकसित भारत की संकल्पना को साकार करने में सक्षम होंगे।
चारगावां, भटहट, खोराबार तथा ब्रह्मपुर आदि विकास खंडों में इस सीजन में हजारों बच्चे इंसेफेलाइटिस जैसी बीमारियों की चपेट में आते थे। स्वच्छ भारत मिशन, स्वास्थ्य विभाग व केंद्र तथा राज्य सरकार के अन्य विभागों के समन्वय के माध्यम से इस समस्या का समाधान निकाला गया। स्वछता, शुद्ध पेयजल आदि पर ध्यान दिया गया परिणामस्वरूप अब इंसेफेलाइटिस की बीमारी पूरी तरह समाप्त हो चुकी है।
कार्यक्रम में मुख्यमंत्री जी ने छात्र-छात्राओं को उपहार एवं शैक्षिक सामग्री प्रदान की। इसके पूर्व, उन्होंने महिलाओं की गोदभराई तथा बच्चों का अन्नप्राशन किया तथा बाल विकास पुष्टाहार विभाग, बेसिक शिक्षा विभाग तथा अशोक लीलैण्ड लि0 एवं लर्निंग लिंक्स फाउण्डेशन द्वारा लगाई गयी प्रदर्शनी का अवलोकन किया।
कार्यक्रम में प्रदेश में शिक्षा की प्रगति के विभिन्न आयामों को दर्शाती एक लघु फिल्म का प्रदर्शन किया गया।
इस अवसर पर विधायक महेंद्र पाल सिंह, फतेह बहादुर सिंह, श विमलेश पासवान, सरवन कुमार निषाद सहित अन्य जनप्रतिनिधिगण, प्रमुख सचिव बेसिक शिक्षा डॉ0 शनमुगा सुंदरम एम0के0 एवं निदेशक अशोक लीलैण्ड लि0 एन0वी0 बालचन्दर, परियोजना निदेशक लर्निंग लिंक्स फाउण्डेशन गिरीश एस0, शिक्षक तथा छात्र-छात्राएं उपस्थित थे